hindisamay head


अ+ अ-

कविता

नम आँखें

बसंत त्रिपाठी


नम आँखें मैंने देखीं
पुतलियों में ठहरा हुआ जल
बरस जाना चाहता था
लेकिन बस एक बूँद काँपी
और गुम हुई
कि जैसे आँखों ने पी लिया हो
अपना ही जल

नम आँखें मैंने देखीं

 


End Text   End Text    End Text

हिंदी समय में बसंत त्रिपाठी की रचनाएँ